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सदगुरूदेव कृपा से ईश्वर से साक्षात्कार संभव ,सदगुरूदेव भगवान

 पचंम अश्वमेघ महायज्ञ के पांचवे दिन 

सदगुरूदेव भगवान का भक्तो ने भव्य स्वागत किया गया


परम पुज्य श्री सदगुरूदेव भगवान का भक्तो ने भव्य स्वागत किया गया


परमपूज्य श्री सदगुरूदेव भगवान ने गुरु महिमा पर बोलते हुए कहे कि 


गुरु ने जो नियम बताए हैं उन नियमों पर श्रद्धा से चलना उस संप्रदाय के शिष्य का परम कर्तव्य है। गुरु का कार्य नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को हल करना भी है। राजा दशरथ के दरबार में गुरु- वशिष्ठ से भला कौन परिचित नहीं है, जिनकी सलाह के बगैर दरबार का कोई भी कार्य नहीं होता था।

सदगुरूदेव भगवान ने महामण्डलेश्वर कनकनेशवरी नन्द गिरी को स्मृति चिन्ह देते हु


गुरु की भूमिका भारत में केवल आध्यात्म या धार्मिकता तक ही सीमित नहीं रही है, देश पर राजनीतिक विपदा आने पर गुरु ने देश को उचित सलाह देकर विपदा से उबारा भी है। अर्थात अनादिकाल से गुरु ने शिष्य का हर क्षेत्र में व्यापक एवं समग्रता से मार्गदर्शन किया है। अतः सद्गुरु की ऐसी महिमा के कारण उसका व्यक्तित्व माता-पिता से भी ऊपर है।


 बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव 



अपनी महत्ता के कारण गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा पद दिया गया है। शास्त्र वाक्य में ही गुरु को ही ईश्वर के विभिन्न रूपों- ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। गुरु को ब्रह्मा कहा गया क्योंकि वह शिष्य को बनाता है नव जन्म देता है। गुरु, विष्णु भी है क्योंकि वह शिष्य की रक्षा करता है गुरु, साक्षात महेश्वर भी है क्योंकि वह शिष्य के सभी दोषों का संहार भी करता है।


संत कबीर कहते हैं-'हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥'


अर्थात भगवान के रूठने पर तो गुरू की शरण रक्षा कर सकती है किंतु गुरू के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना सम्भव नही

गुरू ऐसा होता है कि गुरू शिष्य की उन्नति पर खुश होता है।


आज अश्वमेघ महायज्ञ के कार्यक्रम में "उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड के सदस्य"   कनककेशवरी  नन्द गिरी दर्जा प्राप्त मंत्री एवं निर्बल सेवा संस्थान एवं "ग्रामीण पत्रकार ऐसोसियेशन "के जिलाध्यक्ष डाक्टर विपिन शाही जी उपस्थित रहै 



अश्वमेघ महायज्ञ में परम पुज्य श्री सदगुरूदेव भगवान के साथ ,अवधुत अखिलेशवरा नन्द, राष्ट्रीय महासचिव-श्री धर्मानन्द पाण्डेय,आचार्य सुकृत जी महाराज, आचार्य अत्रि, आचार्य जोगेश्वर जी , आचार्य-लक्ष्मीकांत श्रीवास्तव,आचार्य अवधेशानन्द जी महाराज, मीडिया प्रभारी -आचार्य विश्वामित्र, मीडिया प्रभारी -आचार्य अरपितेशवरा नन्द, सोशल मीडिया टीम -आचार्य दिव्यानन्द, आचार्य जितेंद्र जी ,आचार्य राजकुमार, आचार्य अटल जोगेश्वर जैसे सभी वरिष्ठ आचार्य  इस कार्यक्रम के सहभागी रहै।