पत्रकार राजकुमार शर्मा का 'ये दुनियाँ ये महफ़िल मेरे काम की नहीं' चरितार्थ करना अखर-सा गया*
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*दिवंगत आत्माओं के लिए विनम्र श्रद्धांजलि*
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मिर्जापुर । गीता प्रेस, गोरखपुर के अध्यक्ष तथा सनातन संस्कृति के संवाहक 'कल्याण' मासिक के संपादक राधेश्याम खेमका के निधन पर मिर्जापुर का प्रबुद्धवर्ग शोकग्रस्त हुआ है। यहां के लोगों ने कहा कि उनके निधन से अध्यात्म का मजबूत महल दरक-सा गया है।
रविवार को नगर के प्रेमघनमार्ग स्थित डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान में स्व खेमका को श्रद्धांजलि देते हुए संस्थान के संयोजक सलिल पांडेय ने कहा कि मिर्जापुर में लगभग 25 वर्ष पूर्व लायन्स स्कूल में आयोजित रामायण मेला में वे आए थे। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व वाराणसी में उनका सम्मान करते हुए 'विंध्यप्रसाद पत्रिका' की प्रति भेंट की गई थी। उस दौरान खेमका जी ने वार्ता के दौरान मन्त्रवत बातें कही तथा दो वाक्यों में यह कहा कि *किसी भी तरह का काम करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई देख रहा है।*
*खेमका जी वन और पहाड़ वाले संत-संन्यासी नहीं बल्कि सामाजिक संन्यासी थे*
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संस्थान संयोजक सलिल पांडेय ने कहा कि वार्ता के दौरान उनकी मृदुभाषिता से यही लगा कि वे वन और पहाड़ वाले संत नहीं बल्कि सामाजिक संत हैं। स्व खेमका के आवास पर आने वालों के सम्मान के ढंग से 'अतिथि देवो भव' मंत्र जागृत दिख रहा था। इस अवसर पर खेमका जी के आवास पर उपस्थित प्रदीप शर्मा ने जब उनकी दिनचर्या बताई तो प्रतीत हुआ कि वे 85 वर्ष के कर्मयोगी भी है।
*दुनियां और महफ़िल छोड़ सबको रुलाते चले गए राजकुमार*
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रविवार को ही शोक व्यक्त करते हुए संस्थान में लोगों ने मिर्जापुर के बहुमुखी व्यक्तित्व के जन-जन के प्रिय राजकुमार शर्मा का एक झटके से दुनियां छोड़कर जाना 'ये दुनियां ये महफ़िल मेरे काम की नहीं' गीत को आत्मसात करने वाला ही माना । अत्यंत छोटी 17-18 साल की उम्र में वे 1979 के दौरान आरक्षण विरोधी आंदोलन में वे सक्रिय हुए। अपने सौम्य व्यवहार से जिले की हर बड़ी हस्ती के दुलारे होते हुए वे 17-18 साल बाद उत्तराखंड चले गए। पत्रकारिता के क्षेत्र में वे प्रतिभाशाली लोगों को खोजते-फिरते थे। जिस किसी ने मदद मांगी, उनके मुंह से 'नहीं' शब्द निकला ही नहीं। दर्जनों राष्ट्रीय समाचार पत्रों में रिपोर्टिंग एवं स्तम्भ लेखन उन्होंने किया। आध्यात्मिक लेखन उच्चस्तरीय था। वरिष्ठ सम्पादकों, राजनीतिज्ञों, सामाजिक लोगों के साथ विविध आश्रमों के आचार्यों के वे करीबी रहे। 61 वर्षीय राजकुमार शर्मा की पत्नी रेनू शर्मा कवयित्री हैं। पुत्र अभी हाल में लोकसेवा आयोग से पीसीएस संवर्ग में चयनित होकर खान अधिकारी नियुक्त हुआ। बड़े भाई तिलकराज शर्मा यहां के वरिष्ठ पत्रकार हैं।
दोनों दिवंगत आत्माओं को संस्थान की ओर से श्रद्धांजलि।
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रिपोर्ट - पवन कुमार सिंह