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Swati Mohan Rathod Success Story: “पांचवीं बार में UPSC पास कर बनीं IAS, मां ने रखे गहने गिरवी, पिता सब्जी बेचते थे – जानिए स्वाति मोहन राठौड़ की संघर्ष भरी कहानी”


न्यूज डेस्क: हर साल लाखों उम्मीदवार UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं। यह देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। सफलता की राह यहां आसान नहीं होती—यह रास्ता कठिन परिश्रम, धैर्य, संघर्ष और दृढ़ निश्चय से होकर गुजरता है। ऐसी ही एक मिसाल पेश की है महाराष्ट्र के सोलापुर की रहने वाली स्वाति मोहन राठौड़ ने, जिन्होंने तमाम मुश्किलों और बार-बार असफलता के बावजूद UPSC 2023 में 492वीं रैंक हासिल की और अपने IAS बनने के सपने को साकार किया।



गरीब परिवार की बेटी बनीं अफसर

स्वाति का जन्म एक बेहद साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं और मां एक सामान्य गृहिणी हैं। घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कई बार दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाता था। लेकिन इस माहौल में भी स्वाति ने बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने की ठान ली।




मां ने पढ़ाई के लिए गिरवी रखे जेवर

स्वाति बताती हैं कि उनके घर की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। तब उनकी मां ने अपने गहने गिरवी रख दिए ताकि बेटी की पढ़ाई ना रुके। उन्होंने कहा,
"मां ने कभी मुझे इस बोझ का एहसास नहीं होने दिया, लेकिन उनके त्याग ने मुझे हर बार और मजबूत बनाया।"



स्वाति के पिता की कमाई सब्जी बेचकर होती थी, जो बमुश्किल घर चलाने भर की थी। लेकिन फिर भी उन्होंने कभी अपनी बेटी के सपनों को सीमाओं में नहीं बांधा।





बार-बार की असफलता, फिर भी नहीं टूटीं

स्वाति ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मुंबई के एक सरकारी स्कूल से की। इसके बाद वह परिवार के साथ सोलापुर आ गईं और वालचंद कॉलेज से भूगोल में मास्टर्स डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन यह सफर आसान नहीं था।
उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले चार प्रयासों में असफलता का सामना किया। कई बार ऐसा लगा कि अब छोड़ देना चाहिए, लेकिन उन्होंने अपने अंदर की आग को बुझने नहीं दिया। पांचवीं बार में आखिरकार सफलता मिल ही गई और वे IAS अफसर बन गईं।



समस्याओं पर नहीं, समाधान पर ध्यान

स्वाति का मानना है कि “हर किसी के जीवन में समस्याएं होती हैं, लेकिन हमें समस्याओं से घबराने की बजाय उनके समाधान पर ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि जिनके पास संसाधन नहीं होते, उनके पास हौसला होना जरूरी होता है। और अगर हौसला है, तो कोई भी मुकाम दूर नहीं।



लड़कियों और गरीब परिवार के बच्चों के लिए प्रेरणा

आज स्वाति मोहन राठौड़ लाखों युवाओं, खासकर गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों से आने वाले छात्रों के लिए एक मिसाल बन गई हैं। उन्होंने दिखा दिया कि कठिनाई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, अगर इरादे मजबूत हों तो कुछ भी असंभव नहीं।

उनका संघर्ष यह साबित करता है कि IAS बनने के लिए न तो कोचिंग जरूरी है, न ही लाखों की फीस—बल्कि जरूरी है सच्ची मेहनत, दृढ़ निश्चय और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण।