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UP NEWS: बरहज विधायक दीपक मिश्र 'शाका' का अखिलेश यादव पर तीखा हमला, बोले – "भारतीय संस्कृति से तकलीफ है तो इस्लाम कबूल कर लीजिए"

 

देवरिया उत्तर प्रदेश: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाल ही में दिए गए बयानों को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लगातार हमलावर हैं। इसी कड़ी में देवरिया जिले की बरहज विधानसभा सीट से भाजपा विधायक दीपक मिश्र 'शाका' ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है।

बरहज में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विधायक दीपक मिश्र ने कहा, "जितना हिंदुस्तान आपका है, उतना ही मेरा भी है, अखिलेश जी। अगर भारतीय संस्कृति से तकलीफ है तो इस्लाम कबूल कर लीजिए।"


अमृत सरोवर उद्घाटन कार्यक्रम में बोले विधायक

बरहज में परसिया तिवारी गांव में अमृत सरोवर के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान विधायक दीपक मिश्र ने समाजवादी पार्टी और उसके प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

विधायक ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने महाकुंभ को लेकर राजनीति की है, जो निंदनीय है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय संस्कृति और उसकी परंपराओं का सम्मान करना चाहिए।


क्या कहा था अखिलेश यादव ने?

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने महाकुंभ 2025 के खर्च को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि सरकार जनता की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी कर रही है और सिर्फ धार्मिक आयोजनों पर ध्यान दे रही है। उनके इस बयान के बाद भाजपा के कई नेताओं ने उन पर निशाना साधा था।

राजनीतिक बयानबाज़ी तेज

दीपक मिश्र के इस बयान के बाद यूपी की सियासत गरमा गई है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान को "सांप्रदायिक और असंवैधानिक" करार दिया है। सपा नेताओं का कहना है कि भाजपा के नेता जानबूझकर समाज में ध्रुवीकरण करने वाले बयान दे रहे हैं, ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।

वहीं, भाजपा समर्थकों का कहना है कि अखिलेश यादव को भारतीय संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और महाकुंभ जैसे आयोजनों को राजनीति से अलग रखना चाहिए।


2027 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र बयानबाज़ी तेज

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस तरह की बयानबाज़ी और बढ़ सकती है। भाजपा और सपा, दोनों ही पार्टियां अपने-अपने वोट बैंक को साधने के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही हैं।

अब देखना होगा कि अखिलेश यादव इस तीखे हमले का क्या जवाब देते हैं और यह सियासी जंग किस ओर जाती है।