भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी इन दिनों एक बार फिर से सियासी भूचाल की चपेट में है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक युवा नेता का कथित आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में भाजपा युवा मोर्चा अरेरा मंडल के महामंत्री जीत निशोदे एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रहे हैं। इस वीडियो के बाहर आते ही न केवल राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया, बल्कि भाजपा संगठन ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए जीत निशोदे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मामला क्या है?
मिली जानकारी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह कथित वीडियो भाजपा युवा मोर्चा के नेता जीत निशोदे का बताया जा रहा है। वायरल वीडियो में उन्हें एक महिला के साथ संबंध बनाते हुए देखा जा सकता है। हालांकि, इस वीडियो की सत्यता की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई है, लेकिन जैसे ही यह सोशल मीडिया पर चर्चा में आया, मामला गरमा गया।
पार्टी ने की तत्काल कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा संगठन ने मामले को गंभीरता से लिया। अरेरा मंडल अध्यक्ष अभिषेक पुरोहित ने आदेश जारी कर जीत निशोदे को तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से मुक्त कर दिया। आदेश में साफ लिखा गया कि उनके इस कृत्य से पार्टी की छवि धूमिल हुई है।
अभिषेक पुरोहित ने कहा:
“हाल ही मुझे आपके (जीत निशोदे) आपत्तिजनक कार्यों के संबंध में पता चला है, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई है। अतः आपको भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं पार्टी के सभी दायित्व से मुक्त किया जाता है।”
सियासी गलियारों में हड़कंप
इस पूरे मामले ने मध्यप्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है। कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेताओं का कहना है कि भाजपा के नेता नैतिकता और आचरण की बात तो करते हैं, लेकिन उनके नेता ही लगातार विवादों में घिर रहे हैं।
भाजपा नेताओं पर लगातार विवाद
यह कोई पहला मामला नहीं है जब भाजपा नेताओं का नाम ऐसे विवाद में आया हो। इससे पहले भी प्रदेश और देश स्तर पर भाजपा नेताओं के कई आपत्तिजनक वीडियो और आचरण चर्चा में आ चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बार-बार ऐसे विवाद पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।
सोशल मीडिया पर बहस तेज
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ लोग इसे नेताओं की “निजी जिंदगी” बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग कह रहे हैं कि सार्वजनिक जीवन जीने वाले नेताओं का निजी आचरण भी साफ-सुथरा होना चाहिए, क्योंकि वह समाज के लिए आदर्श माने जाते हैं।
जनता में मिश्रित प्रतिक्रिया
भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में आम जनता इस घटना पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रही है।
- एक वर्ग का कहना है कि अगर आरोप सही हैं तो पार्टी की कार्रवाई बिल्कुल उचित है।
- वहीं कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित साजिश भी बता रहे हैं।
- कई लोग यह भी मानते हैं कि नेताओं को सोशल मीडिया के इस दौर में अपनी गतिविधियों के प्रति बेहद सतर्क रहना चाहिए।
आगे क्या होगा?
फिलहाल जीत निशोदे को पार्टी से निकाल दिया गया है। अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में कानूनी स्तर पर कोई कार्रवाई होती है या यह मामला सिर्फ पार्टी स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई तक ही सीमित रह जाता है।
भोपाल का यह मामला एक बार फिर राजनीति और नेताओं की निजी जिंदगी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या नेताओं की व्यक्तिगत गतिविधियां केवल “निजी मामला” हैं या फिर उनका सीधा असर उनकी राजनीतिक छवि और पार्टी की साख पर पड़ता है? भाजपा ने त्वरित कार्रवाई कर यह संदेश जरूर दिया है कि पार्टी ऐसे मामलों में शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाती है।