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DEORIA NEWS: केजीएमयू के मशहूर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एस.के. शर्मा से जानें – घुटनों की देखभाल, बचाव और उपचार के आधुनिक तरीके

देवरिया: आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में घुटनों की तकलीफ़ हर वर्ग के लोगों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। पहले जहां यह समस्या बुजुर्गों तक सीमित मानी जाती थी, वहीं अब युवा, महिलाएं और खिलाड़ी भी घुटनों के दर्द, सूजन और जकड़न जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस विषय पर गहराई से जानकारी देते हुए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) लखनऊ के मशहूर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. एस.के. शर्मा, जो देवरिया के इकलौते ऐसे डॉक्टर हैं जिन्होंने केजीएमयू से एमबीबीएस और एमएस किया है और स्पाइन एवं जॉइंट डिजीज विशेषज्ञ हैं, ने लोगों को घुटनों की देखभाल और उनके बचाव के उपाय बताए।


डॉ. शर्मा का कहना है – “रोकथाम इलाज से बेहतर है”

डॉ. शर्मा बताते हैं कि घुटनों की तकलीफ़ धीरे-धीरे बढ़ती है। शुरुआत में हल्का दर्द, सीढ़ियां चढ़ते समय तकलीफ़ या थोड़ी देर चलने पर घुटनों में अकड़न महसूस होती है, लेकिन यदि इसे समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह समस्या आर्थराइटिस (गठिया), लिगामेंट फटने (ACL/PCL Injury), कार्टिलेज डैमेज या घुटना बदलने तक जा सकती है।


 घुटनों की देखभाल के लिए जरूरी उपाय

  1. वजन नियंत्रित रखें – मोटापा घुटनों पर सबसे ज़्यादा दबाव डालता है।
  2. नियमित व्यायाम करें – हल्की दौड़, साइकलिंग और तैराकी घुटनों को मज़बूत बनाती है।
  3. संतुलित आहार लें – दूध, दही, पनीर, हरी सब्ज़ियां, सोयाबीन और धूप से मिलने वाला विटामिन D हड्डियों को मज़बूत रखते हैं।
  4. बैठने-उठने का तरीका सुधारें – लंबे समय तक पालथी मारकर बैठने या बार-बार सीढ़ियां चढ़ने से बचें।
  5. हाई हील्स से परहेज करें – ऊँची एड़ी घुटनों पर असामान्य दबाव डालती है।
  6. खेलते समय सावधानी बरतें – खिलाड़ियों को घुटनों को सपोर्ट देने वाले गियर का प्रयोग करना चाहिए।
  7. समय पर डॉक्टर से मिलें – हल्का दर्द या सूजन होने पर भी विशेषज्ञ की राय लेना ज़रूरी है।


 अनदेखी करने पर बढ़ सकती हैं ये समस्याएं

  • गठिया (Osteoarthritis)
  • ACL और PCL लिगामेंट इंजरी
  • कार्टिलेज का नुकसान
  • चलने-फिरने की क्षमता में कमी
  • घुटना रिप्लेसमेंट की ज़रूरत


 डॉ. शर्मा की विशेष सलाह

  • “लोग अक्सर घरेलू नुस्खों या दर्दनिवारक दवाइयों से काम चलाते हैं, जिससे बीमारी बढ़ जाती है। शुरुआत में ही सही इलाज करवाने से बड़े ऑपरेशन से बचा जा सकता है।”
  • “युवा और खिलाड़ी घुटनों पर ज़्यादा दबाव डालने वाले खेलों में सावधानी रखें और चोट लगने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।”
  • “संतुलित आहार और नियमित जांच घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है।”



 आधुनिक तकनीक से उपचार

डॉ. शर्मा ने बताया कि आज घुटनों और रीढ़ की बीमारियों के इलाज के लिए आधुनिक सर्जिकल तकनीकें मौजूद हैं। आर्थ्रोस्कोपी, ACL/PCL रिकंस्ट्रक्शन, मिनिमली इनवेसिव सर्जरी और स्पाइन की एडवांस तकनीकें मरीजों को बिना बड़े कट-छेद के बेहतर इलाज उपलब्ध कराती हैं। इनसे मरीज जल्दी रिकवर करता है और सामान्य जीवन में लौट पाता है।


डॉ. एस.के. शर्मा का स्पष्ट कहना है कि घुटनों की सेहत हमारी जीवनशैली पर निर्भर करती है। यदि लोग सही खानपान, व्यायाम और नियमित जांच को अपनाएं तो घुटनों की समस्याओं से लंबे समय तक बचा जा सकता है और दर्द रहित जीवन का आनंद लिया जा सकता है।