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Success story:33 बार असफल, फिर भी हार नहीं मानी: हनुमानगढ़ के आदित्य कुमार बने IPS अफसर


न्यूज़ डेस्क: जीवन की असफलताएं अक्सर इंसान को तोड़ देती हैं। कई बार लोग एक-दो बार असफल होकर ही अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो हर असफलता को चुनौती मानते हैं और उसे सफलता की सीढ़ी बना देते हैं। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के छोटे से गांव अजीतपुरा के आदित्य कुमार की कहानी इसी का जीता-जागता उदाहरण है। आदित्य ने 33 बार असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी और आखिरकार UPSC पास कर IPS अधिकारी बने।


गांव से निकली बड़ी सोच


आदित्य का जन्म और पालन-पोषण हनुमानगढ़ के अजीतपुरा गांव में हुआ। वे हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़े और एक सामान्य ग्रामीण परिवेश से आते हैं। बचपन से ही उनके मन में यह ठान लिया था कि उन्हें UPSC पास कर देश सेवा करनी है।

साधारण परिवार से आने के बावजूद उनका सपना बड़ा था। उनके माता-पिता दोनों शिक्षक हैं, जिन्होंने आदित्य को हमेशा पढ़ाई और संघर्ष के लिए प्रेरित किया।


लगातार असफलताओं का सफर


12वीं पास करने के बाद आदित्य ने सरकारी नौकरी की परीक्षाएं देना शुरू किया।उन्होंने 30 अलग-अलग परीक्षाओं (बैंकिंग, KVS, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाएं आदि) में हाथ आजमाया, लेकिन हर बार असफल रहे।इसके बाद उन्होंने UPSC की तरफ रुख किया, लेकिन यहां भी पहले तीन प्रयास में सफलता हाथ नहीं लगी।



यानी वे कुल 33 बार असफल हुए।

फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। यही उनके संघर्ष और जज़्बे की सबसे बड़ी ताकत थी।


दिल्ली का सफर और UPSC की तैयारी

2013 में आदित्य ने अपने गांव को छोड़कर दिल्ली का रुख किया। यहां उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की और कई साल संघर्ष किया।

2014 (पहला प्रयास): प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए।

2015 (दूसरा प्रयास): प्रीलिम्स और मेंस पास किए, लेकिन इंटरव्यू में ओवरकॉन्फिडेंस के कारण असफल रहे।2016 (तीसरा प्रयास): फिर असफलता मिली।2017 (चौथा प्रयास): आखिरकार सफलता मिली और आदित्य ने UPSC परीक्षा में 630वीं रैंक हासिल की।


IPS बनकर मिली पहचान

2018 में UPSC के रिजल्ट में उन्हें IPS कैडर मिला। वर्तमान में वे पंजाब के संगरूर जिले में ASP (असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) के पद पर तैनात हैं। यह मुकाम पाना आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत और लगातार संघर्ष ने उन्हें वहां पहुंचा दिया, जहां आज लाखों युवा पहुंचने का सपना देखते हैं।




परिवार का साथ बना प्रेरणा

आदित्य के माता-पिता दोनों शिक्षक हैं। उन्होंने हमेशा बेटे को सपनों के लिए मेहनत करने की प्रेरणा दी। असफलताओं के बावजूद परिवार ने आदित्य का मनोबल कभी टूटने नहीं दिया।



युवाओं के लिए प्रेरणा

आदित्य कुमार की कहानी हर उस युवा के लिए मिसाल है, जो एक-दो असफलताओं के बाद निराश हो जाते हैं।असफलता अंत नहीं, बल्कि सफलता की शुरुआत होती है।दृढ़ संकल्प, मेहनत और धैर्य से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है।UPSC जैसी कठिन परीक्षा भी उन लोगों के सामने झुक जाती है, जो हार मानना नहीं जानते।