Breaking News

US NEWS: खौफनाक चीखें, जले मांस की बदबू… मौत के मुहाने से लौटे यूएस डॉ. राजीव पारती ने बताई ‘नरक’ की सच्चाई, जागी आत्मा तो छोड़ी करोड़ों की नौकरी और शाही ठाट-बाट

 


न्यूज डेस्क: मौत को हमेशा जीवन की अंतिम सीमा माना जाता है। परंतु कई बार ऐसे अनुभव सामने आते हैं जो इस सोच को चुनौती देते हैं। अमेरिका में बसे भारत मूल के नामचीन एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ. राजीव पारती का अनुभव ऐसा ही है। 2008 में प्रोस्टेट कैंसर के ऑपरेशन के दौरान उनका दिल कुछ पलों के लिए थम गया। इस दौरान उन्होंने जो देखा और महसूस किया, उसने न केवल उनकी सोच बल्कि पूरी जीवनशैली बदल डाली। उन्होंने जिस भयावह दृश्य का वर्णन किया, वह किसी भी इंसान को भीतर तक झकझोरने के लिए काफी है।


2008 की घटना जिसने जीवन पलट दिया

डॉ. राजीव पारती अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य के बेकर्सफील्ड हार्ट हॉस्पिटल में चीफ एनेस्थिसियोलॉजिस्ट थे। शानदार करियर, करोड़ों की कमाई, लग्ज़री गाड़ियां और आलीशान घर—हर भौतिक सुख उनके पास था।
लेकिन 2008 में जब उन्हें प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी करानी पड़ी, तब ऑपरेशन टेबल पर उनकी धड़कनें कुछ समय के लिए रुक गईं। यही पल उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ साबित हुआ।


नरक की दहलीज़ पर – खौफनाक चीखें और जले मांस की गंध

डॉ. पारती बताते हैं,

“मैंने ऐसी दर्दनाक और खौफनाक चीखें सुनीं जो इंसान के रोंगटे खड़े कर दें। मुझे लगा मानो मैं किसी जलती हुई घाटी के किनारे खिंचता चला जा रहा हूं। मेरे नथुनों में धुएं की तीखी गंध और जले हुए मांस की बदबू भर गई थी। तभी एहसास हुआ कि यह कोई साधारण जगह नहीं, बल्कि नर्क का मुहाना है।”

यह अनुभव केवल दृश्य नहीं था; उन्होंने उस पीड़ा को अपने पूरे अस्तित्व में महसूस किया।


अदृश्य शक्ति की चेतावनी

इस भयावह क्षण के बीच एक रहस्यमयी आवाज़ ने उनकी पूरी जिंदगी के मायने बदल दिए।

“उस आवाज़ ने मुझे बताया कि मेरी भौतिकवादी जीवनशैली का अंत होना चाहिए। मुझे अपने आत्मा के उद्देश्य को समझने और उसका पालन करने के लिए वापस भेजा जा रहा है।”

डॉ. पारती के अनुसार, यह अनुभव इतना गहरा था कि लौटने के बाद वे अपने पुराने जीवन में नहीं रह सकते थे।


शाही ठाट-बाट से मोहभंग

होश आने के बाद उन्होंने जो निर्णय लिया, उसने उनके दोस्तों और सहकर्मियों को हैरान कर दिया।

  • उन्होंने बेकर्सफील्ड हार्ट हॉस्पिटल के मुख्य एनेस्थिसियोलॉजिस्ट का ऊँचा पद त्याग दिया।
  • करोड़ों की लक्ज़री गाड़ियां और आलीशान मकान बेच डाले।
  • करोड़ों की सालाना कमाई छोड़कर आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया।

उनका कहना है,

“निर्देश मेरे मन में बहुत साफ थे। अब मेरा मकसद केवल आत्मिक उद्देश्य को पाना है, भौतिक सुखों को नहीं।”


‘Dying to Wake Up’ – अनुभव को किताब में दर्ज किया

डॉ. पारती ने अपना यह अनूठा अनुभव किताब “Dying to Wake Up: A Doctor’s Voyage into the Afterlife and the Wisdom He Brought Back” में लिखा।
इस किताब में उन्होंने अपने Near-Death Experience (NDE) की विस्तार से चर्चा की और बताया कि कैसे यह अनुभव उन्हें भौतिक जीवन से ऊपर उठकर आत्मिक यात्रा पर ले गया।

दोस्तों और सहकर्मियों ने पहले इस पर विश्वास नहीं किया। पर डॉ. पारती कहते हैं,

“जिस शक्ति को मैंने महसूस किया, उसके बाद किसी का विश्वास न करना मेरे लिए मायने नहीं रखता था। मैं उस ‘स्रोत’ को जान चुका था।”


वैज्ञानिक दृष्टिकोण : Near-Death Experience (NDE)

चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, जब दिल की धड़कन रुक जाती है और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होती है, तो कई लोग Near-Death Experience का अनुभव करते हैं।
इनमें अक्सर ये अहसास शामिल होते हैं—

  • शरीर से अलग होने का अनुभव
  • उजाले या दिवंगत प्रियजनों का दर्शन
  • गहरी शांति या भय का अहसास



हालांकि वैज्ञानिक अब तक इसे मृत्यु के बाद जीवन का प्रमाण नहीं मानते। यह मस्तिष्क की रासायनिक प्रक्रिया या ऑक्सीजन की कमी का असर भी हो सकता है।आध्यात्मिक संदेश

डॉ. पारती के मुताबिक उनका अनुभव सिर्फ व्यक्तिगत बदलाव नहीं था, बल्कि एक गहरा संदेश भी है—

“हमारा असली उद्देश्य केवल धन, शोहरत और भौतिक सुख पाना नहीं है। हमें अपनी आत्मा के मकसद को पहचानकर उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।”

 

डॉ. राजीव पारती की कहानी बताती है कि मौत के मुहाने से लौटने का अनुभव किसी इंसान की सोच को जड़ से बदल सकता है।
भले ही वैज्ञानिक इसे मात्र नियर-डेथ एक्सपीरियंस मानें, लेकिन यह निस्संदेह इंसान को जीवन और मृत्यु के रहस्यों को नए दृष्टिकोण से समझने पर मजबूर कर देता है।
डॉ. पारती का भौतिक सुखों से मुंह मोड़कर आत्मिक यात्रा पर निकलना, इस बात का प्रमाण है कि कभी-कभी मौत को छूकर आना ही असली जागृति की शुरुआत होता है।